ये कहानी है एक विद्वान् की जो बादशाह अकबर के दरबार में आता है और सभी को अलग अलग भाषाओँ में कविता सुनाता है और एक चुनौती भी देता है की अगर कोई उसकी मातृभाषा का पता लगा लेगा तो वह उसको अपना गुरु बना लेगा। बीरबल जो अपनी बुद्धिमता के लिए जाने जाते है, अपनी चतुराई से विद्वान् की मातृभाषा का पता लगा लेते है और विद्वान् को उन्हें अपना गुरु स्वीकार करना पड़ता है।