अकबर को अपना तोता बहुत ही प्रिय था क्योंकि वह न सिर्फ बोल लेता था बल्कि पूछे हुए किसी भी सवाल का जवाब बहुत अच्छे से देता था। इसलिए बादशाह ने अपने महल में उसके रहने के लिए शाही व्यवस्था करने का आदेश दिया। उन्होंने अपने सेवकों को कहा, इस तोते का खास ख्याल रखा जाए। तोते को किसी भी प्रकार की तकलीफ नहीं होनी और यह तोता किसी भी हालत में मरना तो बिल्कुल भी नहीं चाहिए। अगर किसी ने तोते के मरने की खबर उनको दी, तो वह उसको फांसी दे देंगे। पर एक दिन तोता मर जाता है, सभी सेवक घबरा जाते है और मदद के लिए बीरबल के पास जाते है।
Akbar was very fond of the parrot as it could not only talk, but also reply to his questions. He had made special arrangements for the parrot’s care and safety and made an announcement that if someone ever dared to inform him about the parrot’s death, he will be hung. But one day, the parrot died. None of the caretakers had the courage to go and tell this to the Emperor, so they took the help of birbal.